5 Disadvantage of Kadha : काढ़ा पीने के 5 नुकसान



ज्यादा मात्रा में काढ़ा पीने के ५ नुकसान

साबधान : काढ़े का सेवन तो करे पर उचित मात्रा का विशेष ध्यान रखे , इम्युनिटी बढ़ाने बाली  चीजों  की गरम तासीर हो सकती है समस्या |


इन दिनों कोरोना से बचाव के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर सबका विशेष ध्यान है | गिलोय , लोग , काली मिर्च , अदरक , लहसुन , दालचीनी , का प्रयोग बढ़ा दिया गया है | वेशक आयुर्वेदिक या घरेलू देशी चीजे हमारे शरीर के लिए लाभदायक तो है लेकिन इनका अधिक मात्रा या ओवर डोज शरीर के लिए नुक्शानदायक साबित हो सकता है |


इम्युनिटी बूस्ट करने के लिए उपयोग में ला रहे इन औषधियों का सेवन करने से इसकी तासीर गरम् मणि जाती है | और शरीर में गर्मी अधिक होजाने से पित्त की अधिकता हो जाती है | जिससे हमारी पाचन क्रिया प्रभावित हो सकती है , और शारीरिक नुकसान होने के खतरे बढ़ जाते है | और काली मिर्च का अधिक सेवन करने से हमारे शरीर में कफ की मात्रा बिलकुल काम हो जाती है , ऐसा होने पर हमारे शरीर में पानी की कमी हो सकती है , ऐसा होने पर शरीर में बदन दर्द की शिकायत होने की आशंका बढ़ जाती है, इससे कई और रोग होने की भी सम्भाबना बन जाती है | लौंग में तीखापन जयादा होता है , इसकी अधिकता होने पर हमारी लार ग्रंथि से लार का स्राव ज्यादा होने लगता है , इस कारण इसका सीधा सीधा असर हमारे पाचन तंत्र पर पड़ेगा | और ऐसे ही दालचीनी में हेपेटेक्सिन पाया जाता है , जिसकी अधिकता हमारे लीवर पर दुष्प्रभाव दाल सकती है | ऐसा ही गिलोय और अन्य औसधि का अधिक उपयोग करने से शरीर पर दुष्प्रभाव पद सकता है |

केंद्रीय आयुष मंत्रालय के आदेशो का पालन करना चाहिए :


आयुर्वेदाचार्य बताते है की इन दिनों सबसे अधिक जोर आयुष काढ़ा पर है , लोग दिन भर में ३ से ४ बार काढ़ा पी रहे है | जबकि ऐसा बिलकुल भी नहीं करना चाहिए | आयुष मंत्रालय ने काढ़े का एक फार्मूला तैयार किया है | एहि फार्मूला देश के कुछ चुनिंदा कम्पनियो को दिया गया जिसके तहत उन्होंने काढ़ा तैयार किया है | वैसे एक दिन में एक कप काढ़ा पर्याप्त माना गया है | ज्यादा जानकारी के लिए आयुष मंत्रालय की वेबसाइट पर विजिट कर सकते है |
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सोशल मीडिया पर शेयर फॉर्मूले से बचे :

कुछ विशेषज्ञ कहते है कि यूट्यूब पर दिखाए जारहे फार्मूले से बचने की जरूरत है | इन फॉर्मूलों ने लोगो को अनावस्यक रूप से लोगो को रोगी बना दिया है | भय ग्रस्त कर दिया है | उदाहरण के तौर पर एक विडिओ में बताया गया है की ५ से  ६ जावा लगसून चवा कर खाये तो यूरिक एसिड की समस्या समाप्त हो जाएगी | वास्तविकता तो ये है की इतनी मात्रा में रोज लहसुन खाने से पेट में जलन होने लगेगी | इससे अल्सर रोग भी हो सकता है |

टॉक्सिन की खान बनता जा रहा है हमारा शरीर :

डॉक्टर्स बताते है की हमारी बर्तमान जीवन शैली के कारण हमारा शरीर टॉक्सिन का भंडार बनता जा रहा है | टॉक्सिन निकलने के तीन श्रोत मल , मूत्र , और पसीना है | ऐसी में रहने से पसीना तो आता ही नहीं है | बार बार वाश रूम जाने से बचने के लिए लोग पानी काम पीते है | और बहार का खाना खाने से हमारा मल त्याग भी सही से हो नहीं पता है , ऐसे में शरीर डी-टॉक्सिफाइड नहीं हो पता | इससे कई रोगो से शरीर ग्रस्त हो जाता है |

आयुर्वेद में ऋतु अनुकूलन भोजन की विवस्था है :

आयुर्वेद कहता है की आमतौर पर एलोपैथ के चिकित्स्क रोगी को सब कुछ खाने की सलाह देते है लेकिन हमारा पेट कोई कचरे का डिव्बा नहीं है जो मन करे डाल दो | आयुर्वेद में खाने पीने की तय विवस्था है उसे ही पालन करना चाहिए |





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धन्यबाद !!


 










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